नमस्ते दोस्तों!
क्या आपने भी बनारस की यात्रा का प्लान सिर्फ घाटों, आरती और मंदिरों तक सीमित कर रखा है? अगर हाँ, तो ये पोस्ट आपके लिए एक सरप्राइज़ लेकर आई है!
आपका घुमंतू दोस्त आज आपको लेकर चलता है बनारस की उन गलियों से थोड़ा आगे, उन बनारस के पास ऐतिहासिक किले की ओर जिनकी दीवारें सदियों के राजा-महाराजाओं, प्रेम और युद्ध की कहानियाँ सुनाती हैं। ये वाराणसी के आसपास के ऐतिहासिक किले न सिर्फ आपकी यात्रा को एक नया नज़रिया देंगे बल्कि भीड़ से दूर, शांत और अद्भुत अनुभव भी प्रदान करेंगे।
पिछले महीने जब मैं अपनी बाइक लेकर इन उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक किलों की सैर पर निकला था, तो सच कहूँ तो मन में थोड़ा शक था – क्या वाकई ये जगहें उतनी खास होंगी? लेकिन वापस आकर सिर्फ इतना कह सकूँगा कि ये तीन दिन मेरी जिंदगी के सबसे यादगार दिनों में से थे।
तो चलिए, अपनी गाड़ी का फ्यूल टैंक फुल कराइए और निकल पड़ते हैं इतिहास की इस अनोखी सैर पर!
चुनार का किला - वो किला जिसने इतिहास बदल दिया

बनारस के आसपास घूमने की जगह में से चुनार का किला सबसे रोमांचक है। बनारस से मात्र 40 किमी की दूरी पर स्थित यह किला सिर्फ एक पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि एक जीता-जागता किस्सा है। गंगा नदी के किनारे एक ऊँची पहाड़ी पर बना यह किला दूर से ही आपको अपनी ओर खींच लेगा।
मुझे याद है जब पहली बार मैंने इस किले को देखा था – सुबह की पहली किरणें किले की दीवारों पर पड़ रही थीं और लग रहा था जैसे कोई सुनहरी कहानी खुद-ब-खुद लिखी जा रही हो।
चुनार किले का गौरवशाली इतिहास
इस ऐतिहासिक किले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। कहा जाता है यहाँ राजा भर्तृहरि ने तपस्या की थी। लेकिन इसकी मुख्य कहानी शुरू होती है शेर शाह सूरी से। एक दिलचस्प किस्सा यह है कि उन्होंने यह किला एक प्रेम कहानी के जरिए हासिल किया था – उन्होंने स्थानीय राजा की बेटी से शादी की और दहेज में यह किला माँगा! यहीं से उन्होंने मुग़ल साम्राज्य को चुनौती देने की ताकत जुटाई।
यह वही बनारस के पास ऐतिहासिक किले में से एक है जिसने एक पूरे साम्राज्य के बदलने की कहानी लिखी। बाद में यह किला कई हाथों में गया – अकबर से लेकर अंग्रेजों तक। हर शासक ने यहाँ अपना निशान छोड़ा है।
क्या देखें? (What to See) बनारस के पास ऐतिहासिक किले
सोनवा मंडप: यहाँ से गंगा का नज़ारा लाजवाब है। मैंने यहाँ से सूर्योदय देखा था – यकीन मानिए, Instagram की कोई फिल्टर इस natural beauty को match नहीं कर सकती। फोटोग्राफी के लिए परफेक्ट जगह।
भर्तृहरि की गुफा: एक रहस्यमयी गुफा जो आपको प्राचीन काल में ले जाएगी। अंदर काफी ठंडक रहती है और acoustic effect भी मजेदार है – आवाज़ echo होती रहती है।
विशाल तोपें: किले की सुरक्षा की कहानी बताती पुरानी तोपें। इन्हें देखकर लगता है कि कितनी जंगें यहाँ लड़ी गई होंगी।
बोनस: किले के अंदर एक छोटा सा शिव मंदिर भी है जो आज भी active है।
यात्रा गाइड (Travel Guide)

कैसे पहुँचें:- बनारस से एनएच-35 लेते हुए सीधा चुनार। अपनी कार/बाइक सबसे बढ़िया विकल्प। मैं हमेशा बाइक prefer करता हूँ क्योंकि रास्ते का मजा ही कुछ और है। ऑटो या प्राइवेट कैब भी बुक कर सकते हैं (₹800-1200 में मिल जाएगी)।
समय:- सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक। लेकिन सुबह जल्दी जाना बेस्ट है – भीड़ कम रहती है और तस्वीरें भी बेहतर आती हैं।
एंट्री फीस:- ₹25 Indians के लिए, ₹300 foreigners के लिए। कैमरा अलग से ₹25।
घुमंतू टिप:- यहाँ के स्थानीय ढाबे में चाय और समोसे ज़रूर करें। भैया जी का प्यार और अदरक वाली चाय का Combination लाजवाब है! किले के नीचे एक छोटा सा Market भी है जहाँ Local handicrafts मिलती हैं
रामनगर का किला - काशी के महाराजा का शाही आवास

वाराणसी के प्रसिद्ध किलों में रामनगर का किला एक अलग ही स्थान रखता है। गंगा नदी के ठीक विपरीत दिशा में स्थित यह किला बनारस के इतिहास का एक अभिन्न अंग है। यह कोई खंडहर नहीं, बल्कि आज भी काशी नरेश का सक्रिय निवास स्थान है। यह बनारस के पास ऐतिहासिक किले में सबसे आसानी से पहुँचा जा सकने वाला किला है।
यहाँ की सबसे खास बात यह है कि आज भी यहाँ Royalty का एहसास होता है। महाराजा अनंत नारायण सिंह अभी भी यहाँ रहते हैं और दशहरे के time पूरे किले में celebration होता है।
रामनगर किले का ऐतिहासिक महत्व
वाराणसी के प्रसिद्ध किलों में रामनगर का किला एक अलग ही स्थान रखता है। गंगा नदी के ठीक विपरीत दिशा में स्थित यह किला बनारस के इतिहास का एक अभिन्न अंग है। यह कोई खंडहर नहीं, बल्कि आज भी काशी नरेश का सक्रिय निवास स्थान है। यह बनारस के पास ऐतिहासिक किले में सबसे आसानी से पहुँचा जा सकने वाला किला है।
यहाँ की सबसे खास बात यह है कि आज भी यहाँ Royalty का एहसास होता है। महाराजा अनंत नारायण सिंह अभी भी यहाँ रहते हैं और दशहरे के समय पूरे किले में Celebration होता है।
रामनगर किले का ऐतिहासिक महत्व
इसका निर्माण 18वीं शताब्दी (1750) में राजा बलवंत सिंह ने करवाया था। यह मुगल और हिन्दू वास्तुकला का बेहतरीन मिश्रण है। इसे बनाने में तब तकरीबन 10 साल लगे थे। काशी नरेश की यह गद्दी 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है। यह उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक किले में से एक है जो आज भी अपनी जीवंत परंपराओं के लिए जाना जाता है।
रामनगर के किले में मुख्य आकर्षण
संग्रहालय (विद्या मंदिर): यहाँ पुरानी शाही कारें, हथियार, पालकियाँ और एक अद्भुत खगोलीय घड़ी देखनी ज़रूरी है। वो 200 साल पुराना सेडान चेयर (यह एक बंद बक्सा होता है, जिसमे आमतौर पर खिड़कियाँ लगी होती है और इसे एक व्यक्ति के बैठने के लिए डिज़ाइन किया गया है।) देखकर मैं तो दंग रह गया था।
दुर्लभ पांडुलिपियाँ: संग्रहालय में पुराने समय की दुर्लभ किताबें रखी हैं। कुछ तो हस्तलिखित हैं!
हॉल ऑफ ऑडियंस: जहाँ राजा दरबार लगाते थे। आज भी वो माहौल feel होता है।
Costume Gallery: पुराने जमाने के Royal dresses और Jewelry का Collection।
रामनगर किला विजिट गाइड
कैसे पहुँचें:- रामनगर पुल से होकर जा सकते हैं। लेकिन सबसे मज़ेदार तरीका है दशाश्वमेध घाट से नाव लेना! ₹50-100 में boating का मज़ा भी मिल जाएगा और किले तक भी पहुँच जाएंगे।
समय:- सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
एंट्री फीस:- Museum के लिए ₹20 (For Indians) और ₹150 (For Foreigners)। बाहर से किला देखना Free है।
घुमंतू टिप:- अगर दशहरे के समय जा रहे हैं तो World-Famous रामनगर की रामलीला ज़रूर देखें। ये अद्भुत नजारा आप कभी नहीं भूल सकते और हा इसके बाकि दिनों में भी सुबह शाम आरती का आनंद ले सकते है।
जौनपुर का शाही किला - शर्की वंश की अमूल्य विरासत

अगर आप इतिहास में गहरी रुचि रखते हैं, तो बनारस के आसपास घूमने की जगह में जौनपुर का यह किला आपका इंतज़ार कर रहा है। बनारस से 60 किमी दूर गोमती नदी के किनारे बना यह विशाल किला बनारस के पास ऐतिहासिक किले में सबसे शक्तिशाली और कम जाना-पहचाना है।
क्या है इतिहास? (The History)
इसका निर्माण 14वीं शताब्दी (1362) में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। उन्होंने अपने भाई जौना खान के नाम पर इस शहर का नाम जौनपुर रखा। बाद में यह शर्की सल्तनत की शान बना और यहाँ से “शिराज-ए-हिंद” (भारत का शिराज) कहलाने वाली संस्कृति विकसित हुई।
यहाँ करीब 80 साल तक शर्की बादशाहों का राज रहा जिन्होंने Art, Culture और Architecture को बढ़ावा दिया। यह भारत के ऐतिहासिक किले में से एक है जिसने स्थापत्य कला के क्षेत्र में अपना अमिट योगदान दिया।
क्या देखें? (What to See)
भूलभुलैया (तुर्की हमाम):- एक Underground बाथ कॉम्प्लेक्स जो हैरान कर देगा। यहाँ की Engineering देखकर लगता है कि हमारे पुराने बादशाह कितने Advance थे। अंदर Acoustics भी बेहतरीन हैं।
विशाल दरवाज़े:- किले के मुख्य द्वार की भव्यता देखते ही बनती है। 50 फीट ऊँचे ये दरवाजे आज भी अपनी शान में खड़े हैं।
जामी मस्जिद (किले के पास):- यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसकी architecture लाजवाब है।
नज़ारा:- किले की दीवारों से गोमती नदी और पुराने शाही पुल का दृश्य। सूर्यास्त के समय बेहतरीन Photos आती हैं।
Ancient Wells:- किले में कई पुराने कुएँ हैं जो आज भी पानी से भरे रहते हैं।
यात्रा गाइड (Travel Guide) बनारस के पास ऐतिहासिक किले
कैसे पहुँचें:-
- ट्रेन: वाराणसी से जौनपुर सिटी (सबसे आरामदायक) – ₹95-150 में, 1.5-2 घंटे का journey
- बस: UP Roadways या private buses – ₹100-200
- कार/बाइक: रोड ट्रिप का मज़ा लेना चाहें तो ये बेस्ट है। NH-31 via Kerakat
समय: पूरा दिन निकालें। किला सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
एंट्री फीस: ₹25 Indians, ₹300 foreigners।
घुमंतू टिप: जौनपुर की मशहूर इमरती ज़रूर खाएँ। Chowk Area में मिलती है – स्वर्ग का स्वाद! और हाँ, यहाँ की Perfume Industry भी famous है, कुछ Natural Attar (प्राकृतिक इत्र) भी ले सकते हैं।
बनारस के पास ऐतिहासिक किलों की यात्रा की संपूर्ण योजना
बनारस किले यात्रा का बजट प्लानिंग
चुनार/रामनगर (दिन की Trip):
- Petrol/Diesel: ₹300-400
- खाना-पीना: ₹300-400
- एंट्री फीस: ₹100-150
- Miscellaneous: ₹200-250
- कुल: ₹900-₹1200
जौनपुर (दिन की Trip):
- ट्रेन/बस का किराया: ₹200-400 (दोनों तरफ)
- Local auto/tempo: ₹200-300
- खाना (और इमरती!): ₹400-500
- एंट्री फीस: ₹100
- Shopping: ₹300-500
- कुल: ₹1200-₹1800
ऐतिहासिक किलों की यात्रा का सर्वोत्तम समय
अक्टूबर से मार्च का मौसम वाराणसी के आसपास के किलों की यात्रा के लिए सबसे perfect रहता है। खासकर November-December में weather एकदम मस्त रहता है।
गर्मी में जाना है तो सुबह 7-8 बजे निकलें और दोपहर में 2-4 बजे थोड़ा आराम करें।
मानसून में भी scene अलग होता है लेकिन road conditions check कर लें।
यात्रा की व्यावहारिक सुझाव और टिप्स (बनारस के पास ऐतिहासिक किले)
चुनार के लिए
- Morning 8 AM निकलें, 12 बजे तक वापस
- Water bottle ज़रूर ले जाएँ
- Comfortable shoes पहनें
रामनगर के लिए
- Boat ride का timing check करें
- Camera battery full रखें
- Evening आरती के लिए रुक सकते हैं
जौनपुर के लिए
- Full day plan करें
- Train timing confirm करें
- Local guide की जरूरत हो तो ₹200-300 में मिल जाएगा
नक्शा (Map Links)
आपकी सुविधा के लिए, मैंने इन जगहों के गूगल मैप्स लिंक यहाँ दिए हैं।
बनारस के पास ऐतिहासिक किले :-
विशेष यात्रा सुझाव और Recommendations
फोटोग्राफी शौकीनों के लिए विशेष गाइड :-
- Golden hour (सुबह 7-8 और शाम 5-6) में जाएँ
- Drone regulations check करें (permitted areas में ही fly करें)
- Local permissions ले सकते हैं professional photography के लिए
- बनारस के पास ऐतिहासिक किले की architecture का focus रखें
इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए खास जानकारी :-
- किसी अच्छी history book साथ ले जाएँ
- Local guides से stories सुनें
- Archaeological Survey of India की website पर details पढ़ें
- प्रत्येक ऐतिहासिक किले की विशेषताओं को समझें
स्थानीय स्वाद और खास व्यंजन :-
- चुनार में: गंगा किनारे की चाय
- रामनगर में: मलाईयो (Winter Special)
- जौनपुर में: इमरती और जलेबी
इन ऐतिहासिक किलों की यात्रा क्यों आवश्यक है
बनारस के पास ऐतिहासिक किले सिर्फ Tourist Destinations नहीं हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के जीवंत प्रमाण हैं। ये किले भारतीय इतिहास के उन महत्वपूर्ण अध्यायों को संजोए हुए हैं जिन्होंने हमारे देश की दिशा तय की है।
मैं Guarantee देता हूँ कि ये तीन जगहें आपके बनारस यात्रा के Experience को एक अलग Level पर ले जाएंगी। यहाँ से वापस आकर आप उन लोगों में से होंगे जिन्होंने सिर्फ Mainstream Tourist Spots नहीं बल्कि असली भारत देखा है।
FAQ :- बनारस के पास ऐतिहासिक किले से जुड़े मुख्य सवाल
प्रश्न: क्या Solo travel safe है इन किलों के लिए?
उत्तर: बिल्कुल! मैं खुद solo गया था। Local लोग बहुत helpful हैं। बस basic precautions रखें और वाराणसी के प्रसिद्ध किलों की यात्रा का भरपूर आनंद लें।
प्रश्न: क्या family के साथ जा सकते हैं?
उत्तर: Absolutely! बच्चों को भी मज़ा आएगा। बस Comfortable shoes और water का इंतजाम रखें। ये बनारस के आसपास घूमने की जगह Family trip के लिए Perfect हैं।
प्रश्न: कौन सा किला बच्चों के लिए सबसे अच्छा है?
उत्तर: रामनगर का किला सबसे suitable है क्योंकि यहाँ museum भी है और boat ride का मज़ा भी।
प्रश्न: रात को रुकना पड़ेगा क्या?
उत्तर: जरूरी नहीं। तीनों day trips हो सकती हैं। लेकिन जौनपुर में रुकना चाहें तो decent hotels हैं।
कमेंट में ज़रूर बताएँ कि आपको इनमें से कौन सा किला सबसे ज़्यादा Interesting लगा! अगर आप वाकई इनमें से किसी जगह गए हैं तो अपना Experience share करें। दूसरे Readers को मोटिवेशन मिलेगा।
अगर आपको यह Detailed गाइड Helpful लगी हो तो इसे अपने Travel buddy friends के साथ शेयर ज़रूर करें। क्या पता, आपकी वजह से किसी का Weekend Plan बन जाए!
फिर मिलेंगे एक नई जगह की कहानी के साथ। तब तक के लिए,
सफर बनाए रखिए, कुछ नया सीखते रहिए!
आपका अपना घुमंतू,
अखिलेश ✈️
P.S. – अगर आपके मन में कोई Specific सवाल है इन बनारस के पास ऐतिहासिक किले के बारे में, तो Comment section में पूछ सकते हैं। मैं Personally reply करता हूँ सभी को! और हाँ, अगर आपके पास भी कोई Hidden gem की जानकारी है तो ज़रूर Share करें।